Munawar Rana Shayari – टूटा हुआ दिल की मोहब्बत और दर्द भरी शायरी

Munawar Rana Shayari

Munawar Rana Shayari दिल की गहराइयों को छू लेने वाली शायरी है, जिसमें टूटा हुआ दिल, मोहब्बत और इंसानियत के रंग भरे हुए हैं। मुन्नवर राणा साहब के अल्फ़ाज़ इतने सच्चे और सरल हैं कि हर इंसान उनसे खुद को जोड़ लेता है। उनकी शायरी में प्यार का दर्द भी है, सुकून भी है और जीने की एक नई वजह भी।

उनकी टूटे हुए दिल की शायरी हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार शब्दों में नहीं, एहसासों में बसता है। वहीं मोहब्बत पर लिखी शायरियाँ दिल को यह समझाती हैं कि किसी को चाहना आसान नहीं, बल्कि निभाना असली मोहब्बत है। मुन्नवर राणा की कलम ज़िंदगी के हर पहलू को खूबसूरती से बयान करती है — कभी आँसुओं के ज़रिए, तो कभी मुस्कान के साथ।

Munawar Rana Shayari हर उस दिल के लिए है जिसने कभी सच्चा प्यार किया हो, या किसी को खोकर भी उसे दुआ दी हो। उनके अशआर हमें मोहब्बत में यकीन दिलाते हैं और इंसानियत की अहमियत याद कराते हैं।
अगर आप शायरी के शौकीन हैं, तो मुन्नवर राणा के अल्फ़ाज़ आपके दिल में हमेशा बस जाएंगे।

मोहब्बत पर मुन्नवर राणा शायरी


“तू जो रूठा तो किससे बात करेंगे,
तेरे बिन कौन हमें राज़ की बात कहेगा।”

💬 कभी किसी को इतना मत चाहो कि वो तुम्हारी ख़ामोशी को भी समझने लगे।


Munawar Rana Shayari


“तेरी यादें कुछ इस तरह बस गईं हैं दिल में,
जैसे घर में अगरबत्ती की खुशबू रहती है।”

🌸 इश्क़ की खुशबू, वक़्त से मिटती नहीं।



“हमने तो मोहब्बत में वो दर्जा पाया है,
लोग दुआ मांगते हैं, हम बद्दुआ से भी निखरे हैं।”

🔥 सच्चा इश्क़ दर्द देता है, मगर वहीं असली पहचान भी देता है।



“वो जो कहते थे ‘हमेशा साथ रहेंगे’,
अब किसी और के साथ नज़र आते हैं।”

💔 वक़्त ने सिखा दिया — वादे हवा में नहीं, दिल में निभाए जाते हैं।



“तेरे जाने के बाद ऐसा सन्नाटा है,
जैसे कोई आवाज़ भी रुक सी गई हो।”

🌙 कुछ खामोशियाँ चीखों से ज़्यादा दर्द देती हैं।



“इश्क़ वो नहीं जो बस कह देने से हो जाए,
इश्क़ वो है जो सब कुछ सह जाए।”

❤️ मोहब्बत बोलने से नहीं, निभाने से होती है।



“तेरी मुस्कान में वो जादू है कि,
दर्द भी लगता है किसी दुआ की तरह।”

जब वो हँसते हैं, तो ज़िंदगी आसान लगती है।



“हमसे मोहब्बत का सबक सीख लो जनाब,
बदले में कुछ नहीं, बस सच्चा दिल चाहिए।”

💖 इश्क़ की सबसे बड़ी पहचान — बेग़रज़ होना।



“कभी किसी से मोहब्बत हो जाए तो इतना ही समझ लेना,
कि अब हर खुशी उसी के इर्द-गिर्द घूमेगी।”

🌼 मोहब्बत इंसान को पूरा नहीं, मगर गहरा बना देती है।



“वो हमें भूल भी जाए तो कोई ग़म नहीं,
बस इतना याद रखे कि हमने चाहा था सच्चे दिल से।”

💔 सच्चे इश्क़ में ‘मिलना’ ज़रूरी नहीं, ‘याद रहना’ काफी है।



“कभी-कभी इश्क़ अधूरा रह जाना ही,
उसकी सबसे बड़ी खूबसूरती होती है।”

💫 हर अधूरी मोहब्बत, मुकम्मल कहानी छोड़ जाती है।///



“तेरी आँखों में जो सुकून है,
वो पूरी ज़िंदगी में कहीं नहीं मिला।”

💞 कभी-कभी एक नज़र ही सब कुछ कह जाती है।



“वो जो चला गया था दूर किसी और की ख़ातिर,
आज भी मेरी दुआओं में शामिल है।”

🕊️ सच्चा इश्क़, बदले की नहीं, दुआ की भाषा जानता है।



“प्यार में कोई हद नहीं होती,
बस निभाने की ताक़त होनी चाहिए।”

🔥 इश्क़ आसान नहीं, मगर खूबसूरत ज़रूर है।



“कभी किसी को इतना मत चाहो कि खुद को भूल जाओ,
क्योंकि जो खुद से हार गया, वो मोहब्बत क्या निभाएगा।”

🌙 मोहब्बत में खुद की पहचान बचाना भी ज़रूरी है।

टूटा हुआ दिल पर मुन्नवर राणा शायरी

Munawar Rana Sad Shayari


कभी किसी से यूँ मोहब्बत मत करना,
कि बिछड़ने पर खुद से ही नफ़रत हो जाए।



वो चला गया तो क्या हुआ,
दिल अब भी उसी के नाम की धड़कनें रखता है।



टूटा हुआ दिल अब बस एक सबक बन गया,
किसी पर भरोसा करना आसान नहीं रहा।



तेरी यादें ऐसे दिल में बसी हैं,
जैसे जख्म भर भी जाएं तो निशान रह जाते हैं।



जिसे पाने की तमन्ना थी,
उसी ने रुलाने की वजह दी।



हम मुस्कुरा रहे हैं बस दुनिया दिखाने को,
वरना दर्द तो आज भी वहीं का वहीं है।



मोहब्बत की राह में हमने जो खोया है,
वो अब किसी खज़ाने से नहीं मिलेगा।



कभी किसी के लिए इतना मत टूटो,
कि खुद को जोड़ने की हिम्मत ही न बचे।



दिल तो आज भी उसी के लिए धड़कता है,
फर्क सिर्फ़ इतना है कि अब आवाज़ नहीं निकलती।



वो कह गया था — “कभी भूल न जाना”,
और हम आज तक याद में जी रहे हैं।



जिसे चाहा वो अपना न हुआ,
और जो मिला, दिल उसे चाहता नहीं।



टूटे हुए दिल से जब दुआ निकलती है,
तो आसमान भी खामोश हो जाता है।



कभी सोचा नहीं था कि वो पराया हो जाएगा,
जो मेरे बिना एक पल नहीं रह सकता था।



हमारे जाने के बाद अगर याद आएं,
तो मुस्कुरा देना… क्योंकि हम तो रो नहीं पाए।



अब तो मोहब्बत से डर लगने लगा है,
हर बार कोई न कोई अधूरी कहानी छोड़ जाता है।

मुन्नवर राणा शायरी – इंसानियत पर

Munawar Rana Broken Heart Shayari


मंदिर हो या मस्जिद, फर्क नहीं पड़ता मुझे,
इंसानियत अगर ज़िंदा है, तो खुदा वहीं मिलता है।



इंसान अगर इंसान को समझ ले,
तो दुनिया में कोई मज़हब अलग न रहे।



ज़ुबाँ से अल्लाह कहने से कुछ नहीं होता,
किसी भूखे को खाना खिला दो — वही इबादत है।



इंसानियत वो आईना है,
जिसमें खुदा का चेहरा नज़र आता है।



अगर किसी के आँसू पोंछ दिए तुमने,
तो समझो तुमने दुनिया जीत ली।



इंसानियत की कीमत समझनी है तो,
किसी बेबस की खामोशी सुनो।



वो हाथ जो किसी की मदद के लिए उठे,
वो हर दुआ से ज़्यादा मुकद्दस हैं।



धर्म, जात या रंग में बँटने से बेहतर है,
एक इंसान बन जाओ — यही सबसे बड़ा दर्जा है।



इंसानियत आज भी जिंदा है,
बस उसे पहचानने की नज़र चाहिए।



हमने मंदिर-मस्जिद बहुत देखे,
पर सुकून तो किसी गरीब की मुस्कान में मिला।



रिश्ते तो हर कोई निभा लेता है,
कोई इंसानियत भी निभा कर दिखाए।



वो जो खुद तकलीफ़ में रहकर भी मुस्कुरा दे,
वही असली इंसान कहलाने के लायक है।



इंसानियत में अगर कमी आ जाए,
तो सारा इल्म और ईमान बेकार है।



खुदा ने कहा — मेरे पास मत आना सजधज के,
किसी ज़रूरतमंद की मदद करके आना।



इंसान की असली पहचान उसका चेहरा नहीं,
उसका बर्ताव और दिल होता है।

Shayari Wave

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